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जिंदगी की रेल न चैन खींचके डाट रे सां

जिंदगी की रेल न चैन खींचके डाट रे सां (हरियाणवी)

कविता के माध्यम से कवि अपनी फक्कड़ मस्ती का बयान करता है। कवि बताता है कि बुरे स...पूरा देखें

12वीं आळा प्यार सांग चापसिंह सोमवती धाकड़ दादियाँपुनर्जन्मछापाहीर राँझा सांग पिंगला भरथरी लीलो चमन मुकलावो