इस कहानी में यह दिखाया गया है कि जब भगत सिंह जेल में थे तब किस तरह अपनी ज़िन्दगी जिया करते थे... जेल में भी भगत सिंह जात पात को दूर रखकर एक साफ़ सफाई करने वाले को अपनी माँ बना लेते हैं और उसको अपने साथ बैठाते हैं... जब भगत सिंह की फांसी की तारीख तय हो जाती है तो भगत सिंह अपनी माँ (साफ़ सफाई करने वाले बोघा) के हाथों की बनी रोटी खाने की इच्छा जताते हैं... इस कहानी में जानेंगे कि क्या भगत सिंह अपनी फांसी से पहले अपनी माँ के हाथ की रोटी खा पाएंगे?
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