घूँघट (भोजपुरी)
ई कहानी एगो गांव के बा, जहवाँ औरतन के नाम पर मक्खी तक ना बइठेला । गांव के कुंवार...पूरा देखें
ई कहानी एगो गांव के बा, जहवाँ औरतन के नाम पर मक्खी तक ना बइठेला । गांव के कुंवारा रण्डुआ लोग एड़ी उठा-उठा के अपन रिश्ता के इंतजार करेला। सुंदरो ओही गांव के एगो रण्डुआ ह, जेकरा के रिश्ता के बात होत ता लेकिन कालू आ लीलू बिगाड़ देला। गांव में एगो शर्त लागल – "जेकरा घर में बहू आई, ऊ सरपंच बनला के लायक होई!" सुंदर बियाह करके एगो औरत के आपन घर ले अइले, लेकिन ऊ कहे लगले – "इनकर घूँघट ना उठा सके!" अब लीलू आ कालू बहुते जुगाड़ लगावे लागल ओकर चेहरा देखे खातिर। का ऊ लोग देख पाई सुंदर के बहू के मुँह?
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