गीतां री फुलवारी (राजस्थानी)
जियाँ माँ बाप आप री औलाद सूँ, किसान आपरी फसल सूँ बियाँ ही कवि आपरी कवितावां सूँ ...पूरा देखें
जियाँ माँ बाप आप री औलाद सूँ, किसान आपरी फसल सूँ बियाँ ही कवि आपरी कवितावां सूँ प्रेम कर्या करे है। कवितावां कवि के घर को बाग हुवे है जिणने कवि रात दिन सींचतो रहवे, बां'री रुखाळी करे। धीरे धीरे उनमें न्यारे न्यारे रंगा रा फूल आवे..इण वास्ते ही कवि आपरे आं गीत और कवितावां रे इण प्रोग्राम रो नांव "गीतां री फुलवारी" राख्यो है।
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